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हिंदी कहानियों का बहुत ही सुंदर कलेक्शन

तो खरगोश ने बताया कि मैं जब आ रहा था, तो रास्ते में एक दूसरा शेर मिल गया और मुझे खाने के लिए बोलने लगा। मैंने बताया की मैं अपने शेर राजा के लिए भोजन के लिए जा रहा हूँ मुझे जाने दो। तब उसने कहा की मैं तुम्हारे राजा से नहीं डरता मैं तुम्हें यहाँ से नहीं जाने दूंगा। तब मैं किसी तरह से वहाँ से भाग कर आपके पास आया हूँ।

मूर्ख किसान की पत्नी भी सहमत हो गई और उसने अंडों के लिए हंस का पेट काटने का फैसला किया। जैसे ही उन्होंने पक्षी को मार डाला और हंस और पेट को खोला, कुछ भी नहीं बल्कि मास और खून ही मिल पाया। किसान, अपनी मूर्खतापूर्ण गलती को महसूस करते हुए, खोए हुए संसाधन पर रोने लगा!

अकबर बीरबल की कहानियाँ

गांव बालो ने बताया की धनपाल नाम के एक व्यापारी से तेल लेते थे। जिसके तेल का स्वाद कुछ दिनों से खराब हो गया है। शायद वही कुछ मिलावट कर रहा है। सभी read more गांव बाले इसकी सूचना पुलिस को दी। पुलिस ने तुरंत ही उस तेल व्यापारी को पकड़ लिया और जेल में बंद कर दिया।

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पंचतंत्र की कहानी: चार दोस्त और शिकारी

नंदू रोज ही कुछ न कुछ शरारत करने लगा। एक दिन उसने देखा कि मीतू बतख अपनी चोंच में खाना दबाये चली आ रही है। मीतू यह खाना अपने बच्चों के लिये ले जा रही थी। खाना देखकर नंदू को भी भूख लगने लगी। वह सोचने लगा कि वैसे तो मीतू कुछ देगी नहीं। इसलिये उसके पास पहुँच गया और बोला- “नमस्ते मीतू मौसी!”

गाँव में बॉल को देखकर सब अपने लिए धन , महल और सोना चांदी मांगने लगे। लेकिन सभी को बस अपनी एक ही इच्छा पूरी करने का मौका मिल रहा था। अंत में सबको अपनी इच्छाओं को पूरी करने का पछतावा हो रहा था। क्योंकि लोगों को लग रहा था की उन्हें जो चाहिए था वो नहीं मिला।

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“आप एक ही मजाक में बार-बार हँस नहीं सकते। तो आप हमेशा एक ही समस्या के बारे में क्यों रो रहे हैं? ”

एक नदी के किनारे एक बड़ा और घना पेड़ था, जिस पर एक बंदर रहता था। उसका नाम था चंचल। चंचल उस पेड़ पर खुशी-खुशी अपना जीवन बिताता था, जहाँ उसे ताजे फल खाने को मिलते थे। एक दिन, नदी में रहने वाला एक मगरमच्छ, जिसका नाम गोपाल था, उस पेड़ के पास आया। चंचल ने गोपाल को देखा और उसे कुछ फल फेंककर दिए। गोपाल को वे फल बहुत पसंद आए, और इस तरह उन दोनों की दोस्ती हो गई। रोज़ गोपाल उस पेड़ के पास आता, और चंचल उसे फल खिलाता। एक दिन, गोपाल की पत्नी ने उससे कहा कि वह चंचल को उनके घर भोजन पर बुलाए। उसकी असली योजना चंचल का दिल खाने की थी, क्योंकि उसने सुना था कि जो बंदर फल खाता है, उसका दिल बहुत स्वादिष्ट होता है। गोपाल ने अनिच्छा से चंचल को अपने घर आने का निमंत्रण दिया। चंचल ने जब सुना कि उसे नदी पार करनी होगी, तो उसे संदेह हुआ। वह बुद्धिमान था और उसने योजना बनाई। वह गोपाल की पीठ पर बैठ गया और नदी पार करने लगे। बीच रास्ते में, गोपाल ने अपनी पत्नी की योजना चंचल को बता दी। चंचल ने तुरंत कहा, "अरे!

हाथी सियार से बोला की ये तुम मुझे कैसे तालाब में ले आये, मैं इसमें धंसता ही जा रहा हूँ। सियार यह सुनकर जोर-जोर से हँसने लगा। सियार बोला की मैं तुम्हें अपना शिकार बनाना चाहता था इसलिए मैं तुम्हें इस तालाब में लाया।

फिर क्या शेर गुस्से और तेज दहाड़ते हुए कुएं में छलांग लगा दी। और कुंए में डूब कर मर गया। इसके बाद खरगोश खुशी-खुशी अपने साथियों के पास लौट गया और सारी कथा सुनाई। अब सभी जानवर खरगोश की चतुराई की प्रशंसा की और सब आराम से रहने लगे।

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